lyrics shiv chalisa Secrets
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त्राहि त्राहि मैं नाथ पुकारो। यहि अवसर मोहि आन उबारो॥
पण्डित त्रयोदशी को लावे। ध्यान पूर्वक होम करावे ॥
शिव चालीसा का पाठ पूर्ण भक्ति भाव से करें।
अस्तुति केहि विधि करैं तुम्हारी। क्षमहु नाथ अब चूक हमारी॥
अन्त धाम शिवपुर में पावे ॥ कहैं अयोध्यादास आस तुम्हारी ।
प्रगट उदधि मंथन में ज्वाला। जरे सुरासुर भये विहाला॥
त्रिपुरासुर सन युद्ध मचाई । सबहिं कृपा कर लीन बचाई ॥
कहे अयोध्या आस तुम्हारी। जानि सकल दुःख हरहु हमारी॥
त्रिपुरासुर सन युद्ध मचाई। सबहिं कृपा कर लीन बचाई॥
अर्थ: हे अनंत एवं नष्ट न होने वाले अविनाशी भगवान भोलेनाथ, सब पर कृपा करने वाले, सबके घट में वास करने वाले शिव शंभू, आपकी जय हो। हे प्रभु काम, क्रोध, मोह, लोभ, अंहकार जैसे तमाम दुष्ट मुझे सताते रहते हैं। इन्होंनें मुझे भ्रम में डाल दिया है, जिससे मुझे शांति नहीं मिल पाती। हे स्वामी, इस विनाशकारी स्थिति से मुझे उभार लो यही उचित अवसर। अर्थात जब मैं इस समय आपकी शरण में हूं, मुझे अपनी भक्ति में लीन कर मुझे मोहमाया से मुक्ति दिलाओ, सांसारिक कष्टों से उभारों। अपने त्रिशुल से इन तमाम दुष्टों का नाश कर दो। website हे भोलेनाथ, आकर मुझे इन कष्टों से मुक्ति दिलाओ।
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योगी यति मुनि ध्यान लगावैं। नारद शारद शीश नवावैं॥
मातु पिता भ्राता सब कोई। संकट में पूछत नहिं कोई॥
मात-पिता भ्राता सब होई। संकट में पूछत नहिं कोई॥